Friday 6 November 2015

लालू-नीतीश के सामने आगे कुआं पीछे खाई

नीतीश कुमार और लालू यादवImage copyrightPTI
बिहार में चुनाव नतीजे आठ नवंबर को आएंगे, लेकिन बिहार में दो प्रमुख गठबंधनों में इसे लेकर अपने अपने दावे किए जा रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार विधानसभा का चुनाव देश की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है.
लेकिन प्रदेश स्तर पर स्थानीय क्षत्रपों का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है.
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी का कहना है कि अगर बिहार में एनडीए की जीत हुई तो लालू यादव और नीतीश कुमार के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा.
वो कहते हैं कि जिस तरह का नीतीश कुमार का व्यक्तित्व है और लालू जिस तरह घोटाले में सज़ा मिली हुई है, आरोपों से घिरे हैं और कोर्ट में अभी भी मामला चल रहा है....ऐसे में इन दोनों नेताओं के सामने ज़्यादा संकट होगा.
बिहार चुनावImage copyrightManish Saandilya
उनके मुताबिक़, "पिछले आम चुनावों में बुरी तरह हार का मुंह देखने के बाद नीतीश कुमार एक तरह से कोमा में चले गए थे, जो इस तरह की मनःस्थिति से गुजरने वाले लोग होते हैं उनके लिए चुनौती और कठिन हो जाती है."
"अगर राज्य में एनडीए की सरकार बनती है तो नीतीश के लिए इस सदमे से उबर पाना बहुत मुश्किल होगा."
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी के मुताबिक लालू के सामने दूसरे तरह की चुनौती है. इन चुनावों में उन्होंने अपने परिवार के लोगों को आगे किया. अगर उनका महागठबंधन सत्ता में नहीं आता है तो उनके लिए अपनी पार्टी को एक रख पाना ही बहुत मुश्किल हो जाएगा.
राजेंद्र तिवारी के अनुसार, अगर ऐसा होता है तो लालू के लिए आने वाले पांच साल सबसे कठिन हो जाएंगे.
मोदी रैलीImage copyrightPTI
अगर एनडीए बहुत कम अंतर से जीतती है तो सरकार का सारा दारोमदार राम विलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी पर होगा और सरकार के स्थिरता पर ही शंका बनी रहेगी.
लेकिन इसके उलट अगर मोदी के नेतृत्व में एनडीए की हार होती है और महागठबंधन इन चुनावों में जीतता है तो सबसे बड़ी चुनौती होगी नीतीश कुमार और लालू यादव के बीस सामंजस्य क़ायम रख पाना.
हालांकि राजेंद्र तिवारी को लगता है कि दोनों के बीच सामंजस्य बैठा पाना थोड़ा मुश्किल ही है.
वो कहते हैं, “इस चुनाव के दौरान दोनों नेताओं में तालमेल बहुत अच्छा दिखाई दिया, लेकिन यह सरकार बनने के बाद कितना रहेगा कहना बेहद मुश्किल है. एक चुनावी सभा में लालू यादव ने कहा कि उनका बेटा अहम भूमिका में आएगा.”
लालू यादव और तेजस्वी यादवImage copyrightPTI
उनके मुताबिक़, “अहम पद का क्या मतलब है, यानी हो सकता है वो उप मुख्यमंत्री बनें. ये भी चर्चा है कि जितने सार्वजनिक कामों वाले मंत्रालय हैं, उन्हें आरजेडी लेगा. ऐसे हालात में अगर नीतीश की पकड़ सरकार में पहले जैसी नहीं रही, जिसकी आशंका ज़्यादा है, तो नीतीश को जिस विकास के काम के लिए जाना जाता था, उन्हें अपना अधिक समय सरकार को मैनेज करने में देना पड़ेगा.”
“ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार पर लगातार एक दबाव बना रहेगा और सरकार कितनी स्थिर रह पाएगी, इस पर भी सवालिया निशान है. इसके बाद हो सकता है बीजेपी बहुत आक्रामक तरीक़े से आएगी.”
चिराग पासवानImage copyrightFACBOOK.COM
हालांकि उनका ये भी कहना है कि हो सकता है कि जो क़ानून व्यवस्था बिहार में बनी है और मजबूत हो लेकिन इस चुनाव में एक युवा नेता ज़रूर उभर कर आ रहा है और वो हैं चिराग पासवान. वो और नेता पुत्रों के मुक़ाबले बीस नहीं पच्चीस हैं.
(राजेंद्र तिवारी के साथ बीबीसी संवाददाता संदीप सोनी की बातचीत के आधार पर.)
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