'द नेशन' ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा कि गुरुवार को राष्ट्रपति ममनून हुसैन के साथ बैठक के दौरान शरीफ ने वार्ता के जरिये भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने की इच्छा जताई, क्योंकि उनका मानना है कि बल का प्रयोग स्थिति को केवल बदतर कर सकता है।
बातचीत से सुलझाएंगे मसले
खबर के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के साथ युद्ध कोई विकल्प नहीं है। शरीफ ने कहा कि उनकी सरकार सतत विकास के लिए भारत, अपने सभी पड़ोसियों तथा समग्र रूप से विश्व के साथ दोस्ताना रिश्ते चाहती है। इस बैठक में विदेश मामलों पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक तारिक फातेमी और राजनीतिक मामलों पर प्रधानमंत्री के विशेष सहायक डॉक्टर आसिफ किरमानी भी मौजूद थे।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'उन्होंने (शरीफ और हुसैन) क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा की और दोहराया कि पाकिस्तान क्षेत्र में शांति एवं समृद्धता के लिए सभी पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना रिश्तों के लिए संकल्पबद्ध है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि 'भारत द्वारा नियंत्रण रेखा पर उल्लंघनों' पर चर्चा हुई और शरीफ ने हुसैन को बताया कि उन्होंने वाशिंगटन के हालिया दौरे पर राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के दौरान अमेरिका के सामने यह मुद्दा उठाया। अधिकारी के अनुसार, शरीफ ने कहा कि अमेरिका और वैश्विक शक्तियां भारत-पाक वार्ता चाहती हैं, लेकिन आरोप लगाया कि भारत सहयोग नहीम कर रहा है। उनके हवाले से कहा गया, 'हम हमेशा वार्ता के पक्ष में रहे हैं।'
अमेरिका के भेदभाव को लेकर चिंतित शरीफ
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि असैन्य परमाणु समझौते पर अमेरिका द्वारा भेदभाव के बारे में प्रधानमंत्री थोड़ा चिंतित थे। उन्होंने भारत जैसे समझौते के लिए अमेरिका को राजी करने के प्रयास जारी रखने का संकल्प लिया। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री शरीफ ने भूकंप पीड़ितों के राहत एवं पुनर्वास, कानून व्यवस्था, देश की आर्थिक स्थिति और आपरेशन 'जरब ए अज्ब' से संबंधित मामलों में चर्चा की।
दोनों नेताओं ने कहा कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य संतुष्टिप्रद रफ्तार से चल रहा है और उन्होंने आशा जताई कि गलियारे का काम सफलतापूर्वक पूरा होने पर केवल पाकिस्तान में नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और समृद्धि का युग शुरू होगा।
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