Saturday, 7 November 2015

67 साल में पहली मुलाक़ात, फिर भी विरोध

मा और शीImage copyrightAFP
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ताइवान के राष्ट्रपति मा यिंग-जीओ के बीच शनिवार को सिंगापुर में ऐतिहासिक बैठक हो रही है.
1949 में चीन में गृह युद्ध के समाप्त होने के बाद यह पहला मौक़ा है जब दोनों देशों के नेताओं की मुलाक़ात हो रही है.
चीन ताइवान को अपना ही एक प्रांत मानता है जिसका एक न एक दिन मुख्य भूमि में विलय होगा. चीन को इसके लिए ताक़त के इस्तेमाल से भी गुरेज नहीं है.
शी और मा की मुलाक़ात को लेकर ताइपे में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं और एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने तो संसद के भीतर घुसने की भी कोशिश की है.
protest in taiwanImage copyrightReuters
संवाद एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ ताइपे के हवाई अड्डे से कुछ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
ये गिरफ़्तारियां ऐसे समय हुई हैं जब मा सिंगापुर के लिए रवाना हुए. प्रदर्शनकारियों ने उनकी और शी की तस्वीरों को आग लगाने की कोशिश की.
चेन नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "मा जन भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और उन्हें खाड़ी पार के नेता से मिलने का कोई अधिकार नहीं है."
मा के समर्थन में भी एक छोटा गुट ताइपे के सोंगशान हवाई अड्डे पहुंचा.
protest in taiwanImage copyrightAFP
1949 में कुओमिनतांग पार्टी को कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था और उसने ताइवान में नई सरकार का गठन कर लिया था.
यह बैठक शी के सिंगापुर दौरे के इतर हो रही है.
यह मामला राजनीतिक तौर पर कितना संवेदनशील है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के एक अधिकारी का कहना है कि दोनों नेता एकदूसरे को राष्ट्रपति कहने के बजाय शी और मा कहेंगे.
इस बैठक में किसी बड़े समझौते की उम्मीद नहीं है लेकिन मा का कहना है कि इसका मकसद शांति को बढ़ावा देना और दुश्मनी की भावना को कम करना है.
protest in taiwanImage copyrightReuters
उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के नेता आगे बढ़ेंगे और संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में पहला क़दम बढ़ाएंगे."
मा ने कहा कि दक्षिण चीन सागर विवाद का मुद्दा इस बैठक में नहीं उठेगा.
मा के 2008 में सत्ता संभालने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार आया है. उनकी कुओमिनतांग पार्टी (केएमटी) को चीन समर्थक माना जाता है.
लेकिन संवाददाताओं का कहना है कि चीन के बढ़ते प्रभाव से ताइवान में व्यापक असंतोष पनप रहा है.
protest in taiwanImage copyrightAFP
केएमटी को पिछले साल स्थानीय निकाय चुनावों में जबर्दस्त हार का सामना करना पड़ा था. इन नतीजों को मा की चीन नीति के ख़िलाफ़ माना गया था.
चीन के सरकारी मीडिया ने इस मुलाक़ात को काफ़ी अहमियत दी है लेकिन ताइवान मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने मा से इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का अनुरोध किया है.
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