Thursday, 5 November 2015

यहां एलियंस ने बनाया है एयरपोर्ट!

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यहां एलियंस ने बनाया है एयरपोर्ट!


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यहां एलियंस ने बनाया है एयरपोर्ट! Incredible! Aliens made airport in Kazakhstan
नई दिल्ली। एलियंस को अब तक किसी ने देखा नहीं है, लेकिन लोग तरह-तरह की बाते करते है। एक ऎसा ही मामला कजाकिस्तान से सामने आया है। यहां उत्तरी हिस्से में बनी रहस्ययमी विशालकाय प्राचीन आकृतियों को एलियंस ने बनाया है।

ऎसा लोगों का कहना है, इस बात में कितनी सच्चाई यह किसी को पता नहीं है। जिन एलियंस का वजूद आज तक नहीं खोजा जा सका, हजारों बरस पहले उनके आने की बात इतने पुख्ता तरीके से क्यों कही जाती है। जवाब एलियंस के सबसे ब़डे सीक्रेट में छुपा है जो दावों के मुताबिक एलियंस का एयरपोर्ट था।

इस रहस्य को ठीक-ठीक आज तक नहीं जाना जा सका है, लेकिन जानेमाने लेखक और रिसर्चर एरिक वॉन डेनिकन जैसे लेखकों का मानना है कि धरती पर आए एलियंस की मदद से ही इन्हें बनाया गया, क्योंकि आसमान से देखे बिना इतनी विशाल और सटीक मैथमेटिकल डिजाइन तैयार ही नहीं की जा सकती है। दरअसल, जिस ढंग से नाज्का की रेखाओं को बनाया गया है, वो आसमान से ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष से भी नजर आती हैं। ये रेखाएं दो पैरलल यानी समानांतर कतारों से बनाई गईं हैं। हर आकृति पूरी तरह से सिमिट्रकल यानी अनुपात में बनी है। इनके बीच से कोई लाइन खींच दी जाए तो ये दो बराबर हिस्से में बंटे दिखेंगे। यही पैटर्न कजाकिस्तान में मिली लाइनों में भी है।

हालांकि कजाकिस्तान में बनी लाइनों को जमीन को ऊंचा करके बनाया गया है, जबकि नाज्का लाइंस को ऎसे बनाया गया है जैसे जमीन पर किसी ने इन रेखाओं को खींचा है। इसीलिए अपनी किताब चैरियट्स ऑफ गॉड में एरिक ने ये दलील दी है कि नाज्का के प्राचीन लोगों के साथ मिलकर एलियंस ने इन्हें इसलिए बनाया ताकि वो यहां अपनी उ़डनतश्तरी उतार सकें। यानी धरती पर बनी ये विशाल लाइनें कुछ और न होकर एलियंस के एयरपोर्ट थे। जैसे आज के एयरपोर्ट में विमान ख़डे होते हैं, वैसे ही प्राचीन काल में यहां उडनतश्तरियां खडी होतीं थीं, लेकिन सवाल ये भी है कि आखिर पेरू के नाज्का में क्यों आते थे एलियंस। दावा है कि एलियंस धरती पर मौजूद खनिज, धातुओं आदि के बारे में जानना चाहते थे। ठीक वैसे ही जैसे आज हम मंगल ग्रह पर प्रोब यान उतारकर वहां की जमीन के बारे में जानना चाहते हैं।

लिहाजा, उन्हें पेरू के रेगिस्तान से बेहतर जगह नहीं मिली, जहां बरसों बारिश नहीं होती है और जिसकी मिट्टी में लोहा और उसका अक्साइड मिलता है। एलियंस को नाज्का में बार-बार उतरना पडता था, इसीलिए उन्होंने यहां एयरपोर्ट बना लिया। प्रकाशक जियारिजियो कहते हैं कि आसमान से देखने पर लगता है कि ये एयरपोर्ट ही था। ये सचमुच लगता है क्योंकि आप सफेद चौडी पट्टी देखते हैं जो सचमुच एयरस्ट्रिप हैं। नाज्का की विशाल रेखाएं एलियंस के प्राचीन एयरपोर्ट की एयरस्ट्रिप हैं या नहीं इस पर भारी विवाद है, लेकिन मानव सभ्यता के इस प्राचीन इतिहास को बचाने के लिए 1994 में यूनेस्को ने इसे विश्वधरोहर घोषित कर दिया।
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